भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) पर लंबे समय से जारी तनाव के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। पाकिस्तान ने भारत के साथ 18 मई तक सीजफायर पर सहमति जताई है। यह फैसला हाल के हफ्तों में LoC पर गोलीबारी, ड्रोन हमलों और भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद आया है, जिसने पाकिस्तान को कड़ा जवाब दिया। हालांकि, भारत ने अभी तक इस समझौते की औपचारिक पुष्टि नहीं की है। क्या यह सीजफायर सीमा पर स्थायी शांति ला सकता है? क्या यह केवल एक अस्थायी राहत है? आइए, इस समझौते की खासियतों और इसके प्रभावों को विस्तार से समझते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की सख्त कार्रवाई
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। इसके जवाब में शुरू किए गए **ऑपरेशन सिंदूर** में भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान और PoK में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकी मारे गए, जिसमें कई हाई-प्रोफाइल आतंकी जैसे यूसुफ अजहर शामिल थे। भारत की इस कार्रवाई ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि आतंकवाद के खिलाफ भारत कोई समझौता नहीं करेगा।
पाकिस्तान की रणनीति: दबाव में पीछे हटना
पाकिस्तान की ओर से अचानक 18 मई तक सीजफायर की घोषणा को विशेषज्ञ एक रणनीतिक कदम मान रहे हैं। भारत की सटीक सैन्य कार्रवाइयों, खासकर लाहौर और सियालकोट में किए गए जवाबी हमलों, ने पाकिस्तान को बैकफुट पर ला दिया। इसके अलावा, वैश्विक मंचों पर आतंकवाद को समर्थन देने के लिए पाकिस्तान की आलोचना और उसकी कमजोर आंतरिक स्थिति ने भी उसे सीजफायर के लिए प्रेरित किया। हालांकि, पाकिस्तान ने पहले भी सीजफायर का उल्लंघन किया है, जैसा कि 10 मई 2025 को हुए समझौते के बाद देखा गया, जब उसने ड्रोन हमले और गोलीबारी जारी रखी।
अमेरिका की मध्यस्थता नहीं, DGMO की सीधी बात
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीजफायर में मध्यस्थता का दावा किया, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि यह समझौता DGMO स्तर की द्विपक्षीय बातचीत का नतीजा है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 10 मई को बताया कि पाकिस्तानी DGMO ने भारतीय DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को फोन कर सीजफायर की पेशकश की थी। भारत ने हमेशा दोहराया है कि भारत-पाक मसले में तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं होगी। यह सीजफायर 10 मई को शाम 5 बजे से लागू हुआ, लेकिन पाकिस्तान ने उसी रात ड्रोन हमले कर उल्लंघन किया।
18 मई के बाद क्या?
18 मई तक का यह सीजफायर सीमा पर रहने वाले नागरिकों और सैनिकों के लिए राहत की सांस है। जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में हालात सामान्य होने की उम्मीद है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की अस्थिर नीतियों और आतंकवाद के प्रति रवैये के कारण इस शांति की स्थायित्व पर सवाल उठते हैं। क्या 18 मई के बाद यह शांति बरकरार रहेगी, या फिर LoC पर एक बार फिर गोलीबारी शुरू होगी? अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस समझौते पर नजर रखे हुए है।
भारत-पाकिस्तान के बीच 18 मई तक का सीजफायर एक अस्थायी राहत है, लेकिन इसके पीछे भारत की सैन्य और कूटनीतिक ताकत साफ दिखती है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति का अहसास कराया। अब सवाल यह है कि क्या यह सीजफायर शांति की नई शुरुआत है या केवल एक रणनीतिक ठहराव? आप क्या सोचते हैं? अपनी राय कमेंट में साझा करें और बताएं कि क्या भारत को इस समझौते पर भरोसा करना चाहिए।